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मध्य प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड

कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग
मध्य प्रदेश शासन

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Messages | MP Khadi Gramodhyog Board
Messages

Messages | संदेश

Hon’ble Chairman
माननीय अध्यक्ष जी का
खादी तथा ग्रामोद्योग पर संदेश

माननीय श्री दिलीप जायसवाल जी,
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार),
कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग,
मध्यप्रदेश शासन,

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में “नए भारत” के निर्माण के आह्वान के साथ, खादी केवल वस्त्र न रहकर राष्ट्रीय गौरव, आत्मनिर्भरता और सतत प्रगति का प्रतीक बन गई है। आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने पूज्य बापू की विरासत खादी को “नए भारत की नई खादी” के रूप में परिभाषित किया है, जिससे “खादी पुनर्जागरण” का सूत्रपात हुआ और पूरे देश में खादी–ग्रामोद्योग को एक नए जागरण की दिशा मिली।
माननीय प्रधानमंत्री जी की “आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया, वोकल फॉर लोकल, स्टार्टअप इंडिया” जैसी पहलें तथा उनका मंत्र “सबका साथ, सबका विकास” ने खादी एवं ग्रामोद्योग को नई वैश्विक पहचान दिलाई है। उनका दृष्टिकोण “लोकल से ग्लोबल” कारीगरों और ग्रामीण उद्यमियों को मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था से जोड़ रहा है, जिससे उनकी रचनात्मकता और कारीगरी को उचित सम्मान और बाज़ार उपलब्ध हो रहा है।
इसी प्रकार, मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी का दृष्टिकोण भी अत्यंत प्रेरणादायक है। उन्होंने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश, युवाओं का सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास और सांस्कृतिक गौरव को अपने शासन की प्राथमिकताओं में रखा है। उनके गतिशील नेतृत्व में खादी और ग्रामोद्योग राज्य की प्रगति का सशक्त स्तंभ बन रहे हैं, जो रोजगार सृजन और परंपरागत कारीगरी को आधुनिक नवाचार के साथ पुनर्जीवित कर रहे हैं।
मानव जीवन में सबसे बड़ा सुख अपने मनपसंद क्षेत्र में कार्य करने का अवसर प्राप्त होना है। खादी एवं ग्रामोद्योग भारतीय स्वदेशी नैतिकता और स्वदेशी चिंतन से जुड़े हुए हैं। आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए जब मुझे मध्यप्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, तो मैंने इसे अपने लिए गौरव और सौभाग्य का विषय माना। यह मेरे लिए केवल दायित्व ही नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और ग्रामीण सशक्तिकरण के सपनों को साकार करने का पावन अवसर भी है।
आज के समय में सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म विचारों के आदान-प्रदान और संवाद के सबसे सशक्त साधन बन चुके हैं। मध्यप्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, जिसकी स्थापना 1960 में अधिनियम द्वारा हुई थी, पूज्य बापू के “ग्राम स्वराज” के स्वप्न को साकार करने हेतु निरंतर कार्यरत है। हमारे प्रयासों से असंख्य युवाओं, कारीगरों और उद्यमियों को “अपना हाथ – अपना साथ” के मार्गदर्शन में सशक्त बनाया जा रहा है। ...

Managing Director
माननीय प्रबंध संचालक जी का
खादी तथा ग्रामोद्योग पर संदेश

श्री माल सिंह भयड़िया, आईएएस
प्रबंध संचालक
मध्यप्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड,

मध्यप्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड ग्रामीण क्षेत्रों में सतत रोज़गार सृजन का एक प्रभावी माध्यम बनकर उभरा है। महात्मा गाँधी जी के अमर आह्वान “गाँव की ओर चलो” से प्रेरित होकर, बोर्ड ने ग्रामोद्योग को आर्थिक एवं सामाजिक परिवर्तन का सशक्त साधन बनाया है।

बोर्ड का उद्देश्य ग्रामीण कारीगरों एवं लघु उद्योगों के जीवन स्तर में सार्थक सुधार लाना है, ताकि उन्हें विकास, नवाचार और प्रगति के अवसर मिल सकें। सुव्यवस्थित योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि ग्रामीण कारीगरों द्वारा निर्मित उत्पादों को उचित बाज़ार प्राप्त हो। इससे न केवल उनके जीवनयापन में सुधार होता है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होती है।

इस प्रतिष्ठित बोर्ड के प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य करना मेरे लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। अपने प्रशासनिक अनुभव और हमारी टीम की निष्ठा के बल पर मैं यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हूँ कि हम कारीगरों को सशक्त बनाने, आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और “आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश” के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे।
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खादी – राष्ट्र की गौरवशाली पहचान

स्वदेशी का प्रतीक, आत्मनिर्भर भारत का पथप्रदर्शक

मध्यप्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य खादी, हस्तशिल्प और विभिन्न ग्रामोद्योगों को प्रोत्साहित करना तथा ग्रामीण जनता को रोजगार उपलब्ध कराना है। बोर्ड सूती, ऊनी, रेशमी एवं पॉलीवस्त्र खादी के उत्पादन के साथ-साथ ग्रामीण उद्योगों जैसे मसाले, साबुन, हर्बल उत्पाद एवं हस्तनिर्मित वस्तुओं को बढ़ावा देता है। यह संस्था महिला स्व-सहायता समूहों, कारीगरों और उद्यमियों को तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग प्रदान करती है। विपणन एवं बिक्री के लिए "विन्ध्या वैली" और "कबीरा" जैसे ब्रांड स्थापित किए गए हैं जो गुणवत्ता और परंपरा का प्रतीक हैं। बोर्ड द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रदर्शनियाँ और योजनाएँ न केवल कारीगरों को सशक्त बनाती हैं बल्कि प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित करती हैं। गांधीजी के ‘गाँव की ओर जाओ’ संदेश से प्रेरित होकर बोर्ड सतत ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार कर रहा है।


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